टेस्टोस्टेरोन टेस्ट के ज़रिए पुरूष में मौजूद टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के लेवल के बारे में पाता लगाया जाता है। इस हार्मोन को एंड्रोजन कहते हैं, जो कि खून में मौजूद होता है। टेस्टोस्टेरोन यौन विशेषताओं और उसके विकास पर असर डालता है। पुरुषों में यह वृषणों द्वारा बड़ी मात्रा में पैदा किया जाता है और महिलाओं में यह अंडाशय द्वारा बनता है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में अधिवृक्क ग्रंथि द्वारा अल्प मात्रा में उत्पादित होता है।
फ्री टेस्टोस्टेरोन परीक्षण रक्त में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की मात्रा का पता लगाता है। टेस्टोस्टेरोन की मात्रा ng/dL यानी नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर में मापी जाती है। टेस्टोस्टेरोन परीक्षण को सीरम टेस्टोस्टेरोन परीक्षण के नाम से भी जाना जाता है। टेस्टोस्टेरोन, एक एंड्रोजन है जो कि सेक्स हार्मोन कहलाता है. यह पुरूषों और महिलाओं दोनों में बनता है। यह पुरूषों और महिलाओं में यौवन और प्रजनन क्षमता के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। टेस्टोस्टेरोन पुरूषों और महिलाओं में यौन इच्छा को भी प्रभावित करता है।
टेस्टोस्टेरोन टेस्ट पुरुषों में निम्न उद्देश्यों के लिए होता है:-
संदिग्ध प्राथमिक या द्वितीयक हाइपोगोनाडिज्म की पुष्टि करने के लिए टेस्टोस्टेरोन टेस्ट किया जाता है. यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें टेस्टोस्टेरोन लेवल असामान्य रूप से कम होता है।
टेस्टोस्टेरोन टेस्ट का उपयोग टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की प्रभावशीलता की निगरानी के लिए भी होता है.
टेस्टोस्टेरोन टेस्ट का उपयोग लड़कों में यौवन अवस्था में देरी होने वाले अंतर्निहित कारणों का मूल्यांकन करने के लिए भी किया जाता है।
हाइपरएंड्रोजेनिज़्म के अंतर्निहित कारण का मूल्यांकन करने के लिए, एक ऐसी स्थिति जिसमें टेस्टोस्टेरोन लेवल असामान्य रूप से बढ़ जाता है। इसके कारणों में शामिल हो सकते हैं:-
इस स्थिति में, महिलाओं में पुरुषों की तरह चेहरे पर असामान्य बाल उग आते हैं।
यह एक जन्मदोष होता है, जिसमें एड्रिनल ग्रंथियां अधिक बढ़ने लग जाती हैं।
यह एक हार्मोन असुंतलन की स्थिति का कारण होता है, जिसमें असामान्य तरीके से अंडाशय में सिस्ट उत्पन्न होने लगत्ती हैं और टेस्टोस्टेरोन लेवल बढ़ने लग जाता है।
एड्रिनल ग्रंथि या अंडाशय में टेस्टोस्टेरोन का उउत्पादक ट्यूमर(Testosterone-producing tumors)
जब टेस्टोस्टेरोन की कमी का संदेह हो, तो इस टेस्ट का इस्तेमाल महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन लेवल का पता लगाने के लिए किया जाता है।
टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के प्रभाव पर निगरानी रखने के लिए महिलाओं में, आमतौर पर इस टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
टेस्टोस्टेरोन लेवल को प्रभावित करने के लिए कुछ प्रकार की दवाएं हो सकती हैं, जो कि टेस्टोस्टेरोन टेस्ट रिजल्ट में परिवर्तन ला सकती है। अपने डॉक्टर को ज़रूर बताएं कि किस प्रकार की दवाई या सप्लीमेंट का सेवन कर रहें है क्योंकि यह टेस्ट के रिजल्ट पर पर असर डाल सकते हैं। इसलिए टेस्ट से पहले डॉक्टर कुछ प्रकार की दवाइयों के सेवन पर कुछ समय के लिए रोक लगा सकते हैं। कुछ दवाईयाँ और उपचार, जिससे टेस्ट रिजल्ट प्रभावित हो सकते हैं :-
एंड्रोजन थेरेपी
एस्ट्रोजन थेरेपी
स्टेरॉयड्स
एंटीकॉन्वेलेंट
बार्बिट्यूरेट्स
क्लोमिफेन
अक्सर यह टेस्ट सुबह के समय ही किया जाता है क्योंकि सुबह के समय हरमों लेवल अधिक ओता है इसलिए डॉक्टर 7 से 10 बजे के बीच का समय करते हैं।
टेस्टोस्टेरोन टेस्ट को करने के लिए खून का सैम्पल लिया जाता है जिसकी मदद से टेस्ट की प्रक्रिया की जा सकें. इस टेस्ट को करने के लिए निम्न प्रक्रिया द्वारा किया जाता है:-
खून का नमूना लेने के लिए, अक्सर कोहनी के अंदरूनी हिस्से या हाथ के पिछले हिस्से में एक सुई डाली जाती है। जिस जगह से खून लिया जाना है, उसे पहले एंटीसेप्टिक से साफ़ किया जाता है।
उसके बाद बाजू के ऊपरी हिस्से पर एक इलास्टिक बैंड बांधा जाता है, जिससे नसें उभर के आती हैं। फिर उसके बाद एक सुई को उभरी हुई नस में डाला दिया जाता है।
खून के नमूने को निकाल कर ट्यूब में कलेक्ट किया जाता है. फिर सुई को नस में से बाहर निकाल दिया जाता है, और इलास्टिक बैंड को खोल देते हैं।
खून का नमूना लेने के दौरान थोड़ा सा दर्द या तकलीफ हो सकती है। सुई लगने के दौरान भी व्यक्ति को चुभन या जलन जैसी सनसनी महसूस हो सकती है। जब सुई लनस में डाली जाए तो अपनी बाजू को शिथिल और शांत रखें, जिससे दर्द कम होगा और सुई नस में कही दिल-डुल नहीं पायेगी। जब सुई निकाल ली जाएगी, उसके बाद भी कुछ देर तक भी थोड़ा दर्द या तकलीफ महसूस हो सकती है. मगर कुछ समय के बाद यह अपने आप में ठीक हो जाती है।
एक पुरुष के शरीर में टेस्टोस्टेरोन का सामान्य लेवल 300 से 1000 (ng/dL) होना चाहिए। अगर 300 से 1000 (ng/dL) से नीचे है तो यह टेस्टोस्टेरोन लेवल की कमी को दर्शाता है। टेस्टोस्टेरोन के कम होने के कई कारण हो कसेट हैं लेकिन बढ़ती उम्र को इसका मुख्य कारण माना जाता है। युवावस्था में यह लेवल बहुत तेजी से बढ़ता हुआ नज़र आ सकता है। लेकिन कुछ लक्षण मौजूद है, जो कि यह दर्शाते हैं कि टेस्टोस्टेरोन लेवल लगातार गिर रहा है.
कई कारक टेस्टोस्टेरोन उत्पादन में कमी की वजह बन जाते हैं, जो कि कुछ इस प्रकार है:-
टेस्टोस्टेरोन स्वाभाविक रूप से 30 की उम्र के बाद कम होने लगता है।
शरीर में अतिरिक्त फैट होने की वजह से टेस्टोस्टेरोन लेवल कम होने लग सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज की समस्या
क्रोनिक किडनी की बीमारी
अंडकोष में चोट
अंडकोष में किसी प्रकार का संक्रमण
एचआईवी या एड्स की समस्या
अत्यधिक तनाव
नींद से जुड़ी समस्या
शरीर में टेस्टोस्टेरोन को प्राकृतिक रूप से बढ़ाने के लिए जीवनशैली में कुछ परिवर्तन लाए जैसे कि -
अपनी डाइट में सीमित मात्रा में अंडे, ट्यूना या सैल्मन फिश को शामिल कें. आप चाहे तो रेड मीट, मेवे और बीज के साथ-साथ हरी पत्तेदार सब्जियों को भी अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
टेस्टोस्टेरोन लेवल को बढ़ाने के लिए वेट ट्रेनिंग और हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग की में मदद ले सकते हैं।
टेस्टोस्टेरोन के पैदावार में नींद अहम भूमिका होती है। हर रात 7 से 9 घंटे की अच्छी और पर्याप्त नींद लेने का लक्ष्य रखें।
तनाव को मैनेज करने से कोर्टिसोल हार्मोन भी बैलेंस रहेगा, जिससे टेस्टोस्टेरोन लेवल को मैनेज किया जा सकेगा.
मोटापा टेस्टोस्टेरोन लेवल कम होने का एक महत्वपूर्ण कारण है। शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करने से स्वाभाविक रूप से टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन बढ़त हो सकती है।
डॉक्टर टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, टेस्टोस्टेरोन इंजेक्शन, जैल या पैच की सलाह कुछ मामलों में देते हैं। इन सुझावों चयन तब दिया जाता है, जब पूर्ण रूप से प्राकृतिक उपचार मदद करने में असफल रहता हैं।
फ्री टेस्टोस्टेरोन ब्लड टेस्ट, जो कि खून में मुक्त टेस्टोस्टेरोन यानी सक्रिय हार्मोन के लेवल का पता लगाने में मदद करता है, एक नार्मल टेस्टोस्टेरोन टेस्ट से थोड़ा- सा भिन्न होता है जो कुल टेस्टोस्टेरोन के बारे में पता लगाने में मदद करता है.
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